AMAN AJ

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आई नोट , भाग 5

अध्याय-1
    एक बढ़िया ज़िंदगी
    भाग-5
    
    ★★★
    
    रात के अंधेरे में शख्स अभिनव की लाश को कंधे पर उठाते हुए उसे बाहर लेकर आया और अपनी सेकंड हैंड कार के पास पहुंच कर उसे कार की डिक्की में डाल दिया। इसके बाद वह वापिस गया और थोड़ी देर बाद फूलों के लिफाफे लेकर आते हुए नजर आया। फूलों के लिफाफे लाकर उसने उसे डेड बॉडी के ऊपर रख दिया। इसके बाद उसने डिक्की बंद की और गाड़ी के अंदर बैठ कर उसे स्टार्ट कर लिया। 
    
    थोड़ी ही देर बाद उसकी गाड़ी मेन रोड पर बाकी के ट्रैफिक के बीच में से गुजर रही थी। इस दौरान शख्स ने अपने एक हाथ को वापिस कार की खिड़की पर रखा और मन में कहा “एक बढ़िया जिंदगी.... आखिर एक इंसान को अपनी बढ़िया जिंदगी में क्या चाहिए? अलग-अलग सोच और अलग-अलग पैमाने के हिसाब से अलग-अलग जवाब मिल सकते हैं। कुछ लोग ऐशो आराम को महत्व देते हैं, कुछ लोग खाने पीने को, और कुछ लोगों को बस दिन भर मोबाइल यूज करना होता है, मानो उनके लिए उनकी जिंदगी सिर्फ उनका मोबाइल ही है। फिर मेरे जैसे लोग... मेरे जैसे लोगों को तो बस बीवी का प्यार मिल जाए यही काफी है। मेरे लिए मेरी बीवी ही सब कुछ है। ना चाहिए मुझे सोना चांदी.... ना चाहिए पैसा गाड़ी... यह गाना मेरे पर बिल्कुल सूट होता है। मेरी जिंदगी ऐसी ही है। अपनी बीवी के इर्द-गिर्द घूमती हुई एक बढ़िया जिंदगी।” 
    
    तभी अचानक उसने जोरदार ब्रेक लगाई, ब्रेक लगाते ही उसके मन का विचार टूट गया, उसके शक्ल पर भी ऐसे भाव आए जैसे मानो वह किसी बहुत बड़े सदमे से बाहर निकला हो। उसने अपने ठीक सामने देखा। सामने एक कार रुकी थी जो उसके सामने अचानक रुकी थी और उसे ब्रेक लगानी पड़ी थी। इसके बाद उसने और आगे देखा तो पाया ढेर सारी कारें ऐसे ही खड़ी हुई है। इसके बाद उसकी नजर कुछ पुलिसवालों पर गई जो कारों की तलाशी ले रहे थे। उसे देखते ही शख्स की सिट्टी पिट्टी गुल हो गई और उसके चेहरे पर परेशानी के भाव दिखने लगे।
    
    उसने अपने हाथ को अपने चेहरे पर फेरा और मन में कहा “अब साला यह क्या पंगा है? यह मेरी कहानी में पुलिस कहां से टपक पड़ी। आखिर मेरी कहानी लिखने वाला मुझसे चाहता क्या है। एक तरफ मेरी कार में डेड बॉडी और एक तरफ सामने पुलिस, मतलब अभी अभी जो बढ़िया जिंदगी वाली लाइन बोली उसकी वाट लगने वाली है। ओह माय गुडनेस।” 
    
    शख्स ने तुरंत गेयर बदला और बिना पीछे देखे गाड़ी को रिवर्स लेने लगा। मगर उसने इस बात पर ध्यान नहीं दिया था कि पीछे भी एक गाड़ी और आकर खड़ी हो गई थी। जैसे ही शख्स गाड़ी रिवर्स लेने लगा उसने अपनी गाड़ी पीछे खड़ी गाड़ी में ठोक दी। जैसे ही गाड़ी ठुकी शख्स ने पीछे मुड़कर देखा। 
    
    अपने पीछे मौजूद गाड़ी को देखकर वह मन ही मन बोला “अबे...गोचु.... अब इस गाड़ी को भी इसी वक्त पीछे आना था। तू तो गया बेटा आज। आज तेरा सारा ज्ञान.... तेरी सारी स्पेशलिटी....सब झड़ जाएगा। आज तेरे को पता चलेगा कत्ल करने की सजा क्या होती है।” 
    
    पीछे वाली गाड़ी से तकरीबन 40 साल का आदमी निकला और उसने गाड़ी के सामने आकर गाड़ी की हालत देखी। वह शख्स मोटी तोंद वाला शख्स था। उसने बड़ी झोलीदार कमीज पहन रखी थी। पेंट भी ऐसी थी। चेहरे पर दाढ़ी नहीं थी मगर मुछें थी। चेहरा हल्के सांवले रंग का था।
    
    अपनी गाड़ी की बिगड़ी हुई हालत देखकर उसके चेहरे पर गुस्सा आ गया। वह तेजी से सामने वाली गाड़ी की तरफ बढ़ा और गुस्से में बोलता हुआ बोला “क्यों बे... तेरे को ठीक से दिखाई नहीं देता... पता नहीं पीछे और भी गाड़ी खड़ी है।”
    
    शख्स उतरा और विनम्रता दिखाते हुए बोला “माफ करना भाई साहब, वह मैं थोड़ा जल्दी में था तो ठीक से ध्यान नहीं दे पाया। मैंने अभी-अभी गाड़ी यहां खड़ी की थी तो लगा पीछे कोई नहीं होगा। बस इसीलिए...”
    
    “बस इसीलिए क्या...?” आदमी ने अपने गुस्से को बनाकर रखा “बस इसलिए क्या? बस इसलिए तुमने मेरी गाड़ी में गाड़ी ठोक दी। और यह तुम्हारा माफी वाला नाटक क्या है... एक तो गाड़ी ठोकते हो ऊपर से माफी वाला ड्रामा भी करते हो।”
    
    “देखिए भाई साहब... हो जाता है कभी-कभी...” शख्स उसके गुस्से को पूरी विनम्रता से संभालने की कोशिश कर रहा था “आपका जितना भी नुकसान हुआ है मैं उसका हर्जाना भर देता हूं। इसमें गुस्सा करने वाली कौनसी बात है।” 
    
    आदमी ने शख्स की विनम्रता को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। उसने उल्टा अपने हाथ को आगे बढ़ाया और शख्स की टीशर्ट पकड़ते हुए उसे गिरेबान से धर दबोचा। गिरेबान पकड़ते हुए आदमी ने कहा “क्यों बे... क्या तुमने मुझे भिखारी समझ रखा है जो तु मुझे हर्जाना देने की बात कर रहा.... तू जानता नहीं मैं कौन हूं और क्या कर सकता हूं...”
    
    शख्स ने यह सुना तो गहरी सांस ली। गहरी सांस लेकर उसने उसे बाहर की तरफ छोड़ा और अपने मन में बोला “नादान दुनिया! अब इस नादान दुनिया को कौन समझाए इस मौके पर किस तरह का व्यवहार करना चाहिए। और यह मुझसे किस तरह की जान-पहचान की बात कर रहा है? क्या इसे नहीं पता मैं क्या कर सकता हूं? शायद मुझे इसे अपनी कार की डिक्की में मौजूद डेड बॉडी दिखानी चाहिए, डेड बॉडी दिखाने के बाद इसे यह बता देना चाहिए कि इसका कत्ल मैंने किया है। शायद इसके बाद इसे कुछ अक्ल आए... या इसे पता चले... इसने जिस आदमी का गिरेबान पकड़ रखा है वो क्या कर सकता है।”
    
    इतने में वहां शोर सुनकर पुलिस के कुछ आदमी आ गए। पुलिस के दोनों ही आदमी हवलदार थें। उनमें से एक ने कड़कदार और जोरदार आवाज में कहा “ओए... क्या हो रहा है यह .. क्या कर रहे हो तुम लोग....”
    
    आग बबूला आदमी ने जब यह देखा तो उसने शख्स का गिरेबान छोड़ दिया, शख्स का गिरेबान छोड़ने के बाद वह मासूम बनता हुआ हवलदार से बोला “सर... इसने मेरी गाड़ी में अपनी गाड़ी ठोक दी। बीच सड़क में यह बिना पीछे देखे गाड़ी बैक कर रहा था।”
    
    वहीं शख्स के चेहरे की हवाइयां अब सातवें आसमान पर थी। वह बड़ी मुश्किल से अपने चेहरे पर आने वाले तनाव को छुपा रहा था। हालांकि उसके माथे पर पसीने की बूंदे आने लगी थी। यहां तक कि दिल की धड़कन भी धीरे-धीरे बढ़ रही थी। 
    
    गुस्से वाले आदमी ने यह कहा तो शख्स तुरंत बोल पड़ा “सर मैं मानता हूं मेरी गलती है, मैं इसके लिए हर्जाना भरने के लिए भी तैयार हूं। दरअसल मैं बहुत जल्दी में था....वो...वो..” अचानक उसने अपने चेहरे पर परेशानी की लकीरे बना ली। परेशानी की लकीरे बना लेने के बाद वह खुद को दुखी भी दिखाने लगा। “वो... मेरी बीबी की हालत ठीक नहीं। वो इस वक्त घर पर अकेली है.... और उसने अभी कुछ देर पहले मुझे फोन करके बताया है कि उसकी तबीयत खराब हो रही है। इसलिए मैं जल्दी से जल्दी उस तक पहुंचना चाहता था। इसी जल्दबाजी में मैंने पीछे की तरफ ध्यान नहीं दिया।”
    
    हवलदार ने यह सुना तो उसने दूसरे हवलदार की तरफ देखा। दोनों ही हवलदारों में इशारों इशारों में कुछ बात हुई। इसके बाद हवलदार ने शख्स से पूछा “कौन से वार्ड में रहते हो?”
    
    शख्स ने जवाब दिया “47 एचके, बिल्डिंग नंबर 11 में पांचमें फ्लोर पर 4 नंबर फ्लेट है।”
    
    “तुम्हारे पास तुम्हारी आईडी और ड्राइविंग लाइसेंस है?”
    
    शख्स ने अपने चेहरे पर हाथ फेरा और धीरे से मुंह हिलाते हुए कहा “हां सर, मेरे पास मेरी आईडी और ड्राइविंग लाइसेंस दोनों ही है।”
    
    “ठीक है दिखाओ।” हवलदार ने आदेशात्मक स्वर में कहा। 
    
    शख्स ने गाड़ी का दरवाजा खोला और अंदर के बोक्स में अपनी आईडी और ड्राइविंग लाइसेंस निकालने लगा। इस दौरान उसने अपने मन में थोड़े परेशानी वाले अंदाज को व्यक्त करते हुए कहा “मेरा दिमाग इस वक्त कुछ भी सोच पाने के काबिल नहीं। क्या सही है क्या गलत है... मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा। और यह पुलिस वालों को मेरा आईडी और ड्राइविंग लाइसेंस क्यों चाहिए? अगर इन्होंने ड्राइविंग लाइसेंस देखा तो इन्हें पता चल जाएगा मैं कौन हूं... इसके बाद यह लोग डेड बॉडी देखेंगे... फिर इन्हें पता चल जाएगा कि मैं एक डेड बॉडी को अपनी कार में लेकर घूम रहा हूं। इसके बाद मेरे द्वारा भागने की कोशिश भी की जाएगी तो मैं कभी ना कभी पकड़ा जाऊंगा। मतलब... मतलब एक तरह से आज मेरी कहानी का द एंड होने वाला है। मेरी उस कहानी का जो अभी ठीक से शुरू भी नहीं हुई थी। कितना बेकार और वाहियात अंत होगा मेरी कहानी का। लोग भी हंसगें मेरी कहानी पर।  मेरी कहानी पर भी हसेंगे और मुझ पर भी हसेंगे। बोलेंगे यह कैसी कहानी थी... कहानी में तो अभी हीरो ने एक मर्डर भी नहीं किया... और वो पकड़ा गया।”
    
    उसने आईडी तथा ड्राइविंग लाइसेंस लिया और हवलदार को दिखा दिया। हवलदार आईडी और ड्राइविंग लाइसेंस को बड़े ही ध्यान से देखने लगा। उसकी आईडी और ड्राइविंग लाइसेंस को देखने के बाद उन्होंने गुस्से वाले आदमी से पूछा “क्या तुम्हारे पास भी दोनों है...”
    
    मगर यह सुनते ही गुस्से वाले आदमी के चेहरे पर परेशानी वाली लकीरे आ गई। इससे पहले शख्स परेशान हुआ था मगर इस बार परेशान होने की बारी उसकी थी। उसने हल्के कांपते हुए स्वर में जवाब दिया “वो..सर..वो... मेरे पास है मगर अभी... अभी नहीं।”
    
    “अभी नहीं से क्या मतलब..?” दोनों ही हवलदार ने अपना ध्यान शख्स से हटाया और उस आदमी पर चढ़ने को उतारू हो गए।
    
    इसी दौरान शख्स के सामने मौजूद गाड़ियां एक के बाद एक निकलती हुई जा चुकी थी। उनके जाने के बाद सड़क खाली थी। मगर सामने दो पुलिस वाले और दिखाई दे रहे जिनका काम वहां से गुजरने वाली गाड़ियों की चेकिंग करना था।
    
    दोनों में से एक हवलदार ने शख्स की तरफ देखा और उससे कहा “तुम जा सकते हो...”
    
    शख्स ने यह सुना तो अपने खामोश चेहरे से हामी भरी। हामी भरने के बाद वह धीरे धीरे अपनी गाड़ी में बैठा। अपनी गाड़ी में बैठने के बाद उसने दोनों हाथ स्टेरिंग पर रखें और सामने खाली पड़ी सड़क को देखा। खाली सड़क पर उसे अपने सामने दो पुलिस वाले दिखाई दे रहे थे। उसने अपनी आंखें बंद की और मन में कहा “अगर यह मेरी कहानी का अंत है तो मुझे इसे स्वीकार करना होगा। हर कहानी का अंत होता है, अच्छी बुरी हर कहानी का। कोई भी कहानी ऐसी नहीं जिसका अंत ना हो। मुझे इसे लेकर चिंतित नहीं होना चाहिए। मैंने अपनी जिंदगी में ढेर सारे बुरे काम किए हैं, और एक ना एक दिन मुझे इसकी सजा मिलनी ही है। तो फिर आज क्यों नहीं। आज मुझे मेरे बुरे कामों के लिए सजा मिलेगी। मानवी... मुझे माफ कर देना” शख्स ने गहरी सांस ली, गाड़ी का गियर बदला और उसे धीरे-धीरे सामने की ओर ले जाने लगा “मैं तुम्हें बहुत ज्यादा चाहता हूं और आगे आने वाले समय में भी चाहता रहूंगा। उम्मीद करूंगा आगे आने वाले समय में तुम मुझे जेल में खाना खिलाने जरूर आओगी।”
    
    गाड़ी सामने के दोनों पुलिसवालों से ज्यादा दूर नहीं थी, और वह दोनों पुलिस वाले भी गाड़ी की तरफ ही देख रहे थे।
    
    ★★★

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3 Comments

Seema Priyadarshini sahay

05-Dec-2021 02:04 AM

बहुत ही रोचक भाग

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Sana Khan

03-Dec-2021 07:23 PM

یہود

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BhaRti YaDav ✍️

29-Jul-2021 08:20 AM

Nice

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